1. “परम्परा का मूल्यांकन” पाठ के लेखक कौन हैं?
Answer: हजारीप्रसाद द्विवेदी
2. “परम्परा” का अर्थ क्या है?
Answer: अतीत से चली आ रही रीति-रिवाज और मान्यताएँ
3. लेखक के अनुसार परम्परा का मूल्यांकन क्यों आवश्यक है?
Answer: इसे सुधारने और प्रासंगिक बनाने के लिए
4. परम्परा का प्रमुख आधार क्या है?
Answer: सामाजिक स्वीकृति
5. लेखक ने किस प्रकार की परम्पराओं को स्वीकार करने की सलाह दी है?
Answer: तर्कसंगत और उपयोगी परम्पराओं को
6. लेखक ने परम्पराओं को किस दृष्टि से देखने की सलाह दी है?
Answer: आलोचनात्मक
7. परम्परा का मूल्यांकन करते समय कौन-सा गुण आवश्यक है?
Answer: तटस्थता और विवेक
8. परम्पराओं का अंधानुकरण किसके लिए हानिकारक हो सकता है?
Answer: उपरोक्त सभी
9. परम्परा और आधुनिकता के बीच लेखक ने किसका समर्थन किया है?
Answer: परम्परा और आधुनिकता के संतुलन का
10. लेखक के अनुसार, जो परम्पराएँ प्रासंगिक नहीं हैं, उनके साथ क्या किया जाना चाहिए?
Answer: उन्हें त्याग देना चाहिए
11. परम्परा का आधार किस पर होता है?
Answer: समय और स्थान पर
12. “परम्परा का मूल्यांकन” पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Answer: परम्पराओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन करना
13. लेखक ने परम्पराओं को किस दृष्टिकोण से देखने की सलाह दी है?
Answer: तर्क और विवेक की दृष्टि से
14. परम्पराओं के अंधानुकरण का परिणाम क्या हो सकता है?
Answer: समाज का पतन
15. परम्परा और संस्कृति के संबंध में लेखक का क्या मत है?
Answer: परम्परा संस्कृति का आधार है।
16. परम्पराओं का सुधार कैसे संभव है?
Answer: उन्हें समझदारी और तर्क के आधार पर बदल कर
17. लेखक के अनुसार परम्परा का सबसे बड़ा दोष क्या है?
Answer: उनका अंधानुकरण
18. परम्परा को प्रासंगिक बनाने के लिए लेखक ने किस पर जोर दिया है?
Answer: विज्ञान और तर्क पर
19. परम्परा के कौन-से गुण उसे उपयोगी बनाते हैं?
Answer: उसकी वैज्ञानिकता और व्यावहारिकता
20. “परम्परा का मूल्यांकन” पाठ का प्रमुख संदेश क्या है?
Answer: परम्परा का मूल्यांकन तर्क और विज्ञान के आधार पर करना चाहिए।